पूर्व मंत्री प्रो शिवाकांत ओझा लोकसभा चुनाव-2019 के चुनाव में भाजपा को शिकस्त देने के लिए सपा और बसपा के बीच हुए गठबंधन धर्म का नहीं कर रहे हैं,निर्वाह...!!!
भाजपा से बीरापुर विधायक रहे लक्ष्मी नारायण पाण्डेय उर्फ़ गुरूजी का टिकट कटवाकर बीरापुर विधानसभा से छीन ली थी,उम्मीदवारी...!!!
वर्ष-2009 में बसपा के घोषित उम्मीदवार सी एन सिंह का टिकट कटवाकर भाजपा से दल बदलकर हो गए थे,उम्मीदवार...!!!
दल बदल में माहिर हैं,प्रो शिवाकांत ओझा...!!!
बिना पद के नहीं रह पाते प्रो शिवकांत ओझा जैसे राजनैतिक लोग...!!!
भाजपा से बीरापुर विधायक रहे लक्ष्मी नारायण पाण्डेय उर्फ़ गुरूजी का टिकट कटवाकर बीरापुर विधानसभा से छीन ली थी,उम्मीदवारी...!!!
वर्ष-2009 में बसपा के घोषित उम्मीदवार सी एन सिंह का टिकट कटवाकर भाजपा से दल बदलकर हो गए थे,उम्मीदवार...!!!
दल बदल में माहिर हैं,प्रो शिवाकांत ओझा...!!!
बिना पद के नहीं रह पाते प्रो शिवकांत ओझा जैसे राजनैतिक लोग...!!!
कुछ राजनेता सत्ता की चाहत में मुगल शासकों को भी दे रहे हैं,मात...!!!
द्वापर युग में पुत्रमोह के चक्कर में हुआ था,महाभारत...!!!
कलयुग में भी धृतराष्ट्रों की नहीं है,कोई कमी...!!!
पूर्व मंत्री प्रो शिवाकांत ओझा सपा में रहते अन्य दलों से चाहते हैं,प्रतापगढ़ लोकसभा की पुनः उम्मीदवारी...!!!
प्रो शिवकांत ओझा के ऊपर लगा रहता है,RRS का ठप्पा...!!!
बसपा और सपा में रहते हुए देते हैं,RSS को गुरुदक्षिणा...!!!
सोशल मीडिया पर प्रतिबन्ध के बाद पूर्व मंत्री ने लाघी मर्यादा... |
प्रतापगढ़। सत्ता की भूख कुछ राजनेताओं में इस कदर व्याप्त होती है कि वह उसके बगैर रह नहीं पाता। कुर्सी की लालच में वह नैतिकता को ताक पर रख देता है। यही नहीं कुर्सी की चाहत में अपनी मान प्रतिष्ठा को भी वह दाँव पर लगा देता है। ऐसी ही शख्सियत हैं,प्रो शिवकांत ओझा,जो मूलतः संघ से जाने गए और पट्टी विधनसभा से भाजपा के टिकट पर पहली बार विधायक बने। परंतु दूसरी बार डॉ राम विलास वेदांती ने श्री ओझा जी का टिकट कटवा कर इन्हें बीरापुर वर्तमान रानीगंज विधनसभा से भाजपा का टिकट दिलाया। जब तक भाजपा की बाजार ठीक रही तब तक श्री ओझा जी भाजपा में बने रहे। भाजपा की बाजार कमजोर हुई तो ये वक्त की नजाकत को भांपते हुए बसपा का दामन थाम लिया और हाथी की सवारी कर दिल्ली दरबार पहुँचने का ख्वाब देखने लगे। हलाँकि श्री ओझा का दिल्ली दरबार का सपना चकनाचूर हो गया था। फिर से सत्ता की केंद्रबिंदु में रहने के शौकीन श्री ओझा जी बसपा से सपा की सायकिल पर सवार होकर लखनऊ की यात्रा पर निकल लिए और फिर सपा सरकार में मंत्री बन गए। इतने के बाद भी श्री ओझा जी का दिल न भरा। लोकसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आने लगा तो श्री ओझा जी का रूप भी वैसे-वैसे बदलने लगा।
प्रो शिवाकांत ओझा की मुस्कान के पीछे रहती है गहरी साजिश... |
अब ये सपा के पूर्व मंत्री का फ्रेस्ट्रेशन नहीं तो और क्या है ? जब सपा और बसपा सहित रालोद का गठबंधन हो चुका है और सीटें फाइनल हो गई। अपने-अपने सीट पर उम्मीदवार भी उतार दिया है। फिर भी कुर्सी की लालच में सपा के पूर्व मंत्री प्रो शिवकांत ओझा बसपा खाते की सीट पर प्रतापगढ़ से उम्मीदवार होना चाहते हैं। जबकि वो वर्ष-2009 में भाजपा के टिकट को ठुकरा कर बसपा का दामन थामकर प्रतापगढ़ संसदीय क्षेत्र से लोकसभा के उम्मीदवार हुए और उन्हें हार का सामना करना पड़ा। फिर कुर्सी और सत्ता की लालच में प्रो शिवकांत ओझा रानीगंज विधनसभा चुनाव वर्ष-2012 से पहले बसपा से सपा में चले गए। सपा ने उन्हें टिकट दिया और सपा के टिकट पर श्री ओझा जी चुनाव जीते और सूबे में सपा की सरकार बनी। अखिलेश सरकार में श्री ओझा कैबिनेट मंत्री बनाए गए,परंतु पूरे कार्यकाल के पहले उनसे बीच में ही सूबे के मुखिया अखिलेश यादव ने श्री ओझा को त्यागपत्र देने के लिये निर्देशित किया। साथ ही त्यागपत्र न देने पर बर्खास्त कर देने की बात कह कर उनकी नाक में दम करते हुए कैबिनेट मंत्री पद से त्यागपत्र देने के लिए विवश किया। वजह गौरा और शिवगढ़ में ब्लाक प्रमुख के पद पर विवाद का रहा। अखिलेश सरकार अपने कार्यकाल के अंतिम समय में प्रो शिवकांत ओझा को पुनः कैबिनेट मंत्री बनाकर इनका खोया सम्मान वापस दिलाने की कोशिश की,परंतु श्री ओझा का मन न भरा। प्रो शिवकांत ओझा अब रानीगंज की बागडोर अपने पुत्र को सौंपकर खुद लोकसभा का अंतिम दाँव की आजमाईश में दिन रात एक किये हैं। उदाहरण के लिए उनकी फेसबुक पर ये की गई पोस्ट चीख चीखकर उसकी गवाही दे रही है...!!!
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