चौपाल लगाकर चौचाल करने से लोकसभा चुनाव जीतने का ख्वाब भाजपाईयों को छोड़ना होगा और धरातल पर असल में काम करना होगा।जनता की गाढ़ी कमाई को चौपाल पर किये जा रहे खर्च से जनता का भला नहीं हो रहा। ये भी जनता के धन का दुरुपयोग करने जैसा कार्य है...!!!
अफसर और नेताओं के कार्य का असल फीडबैक लेना है तो मुख्यमंत्री के शिकायती पोर्टल IGRS से बढ़िया कुछ भी नहीं। सूबे के मुखिया योगी जी को आईजीआरएस पोर्टल पर सख्ती से फेंक निस्तारण पर लगाना होगा, प्रतिबंध। #CMUPफेंक निस्तारण पर प्राप्त फीडबैक और सुझाव को स्वतः लें,संज्ञान...!!!
जनपद प्रतापगढ़ में सूबे के मुखिया योगी आदित्य नाथ का आगमन हुआ। एक रात्रि दलित के यहां भोजन हुआ और पंचायत भवन में विश्राम हुआ। तभी से जनपद प्रतापगढ़ में चौपाल लगाने की बाढ़ सी आ गई। उसी स्थल पर जिलाधिकारी और मुख्य विकास अधिकारी कुछ ही दिन बाद पुनः चौपाल लगाकर जनता की समस्या सुने। पर हकीकत यही है कि मुख्यमंत्री के आगमन में करोड़ों रुपये खर्च हुए परंतु जनता को उसका एक धेला लाभ नहीं हुआ। कागज पर विकास की गंगा बह गई। भुगतान भी धीरे से कर लिया जायेगा। इन दिनों लोकसभा का जिसे टिकट लेना है वो पार्टी लाईन के फार्मूले पर दिन रात्रि एक किया हुआ है। जनता जब ये कहती नजर आई कि ये सब चौपाल का चौचाल जो किया जा रहा है वो लोकसभा चुनाव को दृष्टि में रखकर किया जा रहा है। फिलहाल सूबे के मुखिया योगी ने इसका खंडन किया था और सफाई में कहा था कि वो तो अलख जगाने के लिये चौपाल और लखपति दलित के यहां एक शाम भोजन किये हैं,इसे चुनाव से न जोड़कर देखा जाए। मुख्यमंत्री योगी के जाने के बाद प्रदेश के सभी जिलों में कैबिनेट मंत्री/प्रभारी मंत्री/विधायक/सांसद/भाजपा के पदाधिकारीगण जिले के विभिन्न कोने में चौपाल लगाकर जनता की समस्या सुन रहे हैं और निराकार का आश्वासन भी दे रहे हैं। स्कूल चलो अभियान की झंडी भी दिखा रहे हैं। ओडीएफ को अमलीजामा पहना रहे हैं।
हकीकत ये है कि कैबिनेट मंत्री की चौपाल में जिले के हाकिम चौपाल के मंच पर ही खर्राटे भर रहे हैं। दलित के यहाँ एक शाम भोजन भी कर रहे हैं। क्षेत्र में रात्रि विश्राम भी कर रहे हैं। परन्तु हकीकत यही है कि एक शाम दलित के यहां भोजन कर लेने से उसकी दरिद्रता नहीं चली जायेगी और एक रात्रि क्षेत्र में विश्राम कर लेने से उस क्षेत्र का कायाकल्प ही हो जायेगा। केंद्र व प्रदेश की सरकार ओडीएफ में करोड़ों रुपये पानी की तरह बहा रही हैं,परंतु कामयाबी शून्य है। हाकिम उसके जरिये संसाधन का लाभ और अपनी जेब भरने का कार्य तेजी से कर रहे हैं। प्रतापगढ़ नगरपालिका क्षेत्र में 3 दिन से सफाईकर्मी हड़ताल पर रहे। नगर क्षेत्र में गंदगी का अम्बार लग गया। कल हड़ताल खत्म हुई। आज सफाई कर्मियों को कूड़ा उठाने में उनकी नानी याद आ रही हैं। सवाल ये है कि सफाई कर्मियों को हड़ताल करने की नौबत क्यों आती है ? उनका समय से भुगतान क्यों नहीं दिया जाता ? उनका एरियर आदि सुविधाएं क्यों रोकी जाती हैं ? सफाई कर्मचारियों के वेतन आदि में क्यों कमीशन लिया जाता है ? बदलना है तो व्यवस्था बदलिए न कि चौपाल लगाकर जनता के समक्ष चौचाल करिये। ये चुनावी नौटंकी बंद करनी चाहिये। धरातल पर काम करने के लिये चौपाल जैसे चौचाल की आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी यदि धरातल पर कार्य होने शुरू हो जाए तो..!!!
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